अगर कोई इंडोमोर्फिक यानि की मोटा टाइप बॉडी है तो उसकी बॉडी फैट 25 प्रतिशत से ज्यादा होती है और उसकी बॉडी में मसल्स के ऊपर चर्बी की मोटी परत होती है जिस से हमारी बॉडी सॉफ्ट लगती हें। ऐसे लोग आकर में बड़े होते है पर दिखने में या छूने में सॉफ्ट होते है। ऐसे एंडो लोग कितनी भी मेहनत करले हार्ड लुक नहीं बना पाते जब तक बॉडी फैट 14 प्रतिशत से कम न कर पाए ओर साथ में मांसपेशिया तथा ताकत बड़ा कर नहीं रखते। ऐसे लोग पॉवर खेलो के खूब फिट होते है जैसे पॉवर लिफ्टिंग, वेट लिफ्टिंग, कुश्ती ,कब्बडी, पॉवर थ्रोस आदि। मेरी यही सलाह है कि ऐसे इंडोमोर्फिक लोग टेंशन से निकले और जो बॉडी टाइप कुदरत ने दी है उसी में संतोष करे ओर दूसरे लोगो की बातो में आकर अकारण ही खतरनाक ड्रग्स तथा महगी खुराक लेकर अपने पैसे और सेहत ख़राब न करे।
इसी तरह जो लोग एक्टओमोर्फिक होते है उनमे बॉडी फैट 12 प्रतिशत से कम होतो हे जिससे बॉडी पातली तथा फैट रहित होती हे और कमजोर लगती है। ये लोग अगर ठीक से व्ययाम तथा खुराक खाये तो वह मस्कुलर तथा मजबूत बनजाते है। परंतु आकर में जयदा बड़े नहीं हो पाते। ऐसे लोगो को टेंशन न ले कर थोडा थोडा करके 5 से 7 बार खाना चाहिए और सप्ताह में 3 से 4 दिन वयायाम करना चाहिए। ये लोग मॉडलिंग तथा स्टेमना वाले खेल खेल सकते हे।
जबकि मेसोमोर्फिक लोग वह होते है जिनमे कुदरत में जयदा मसल मॉस और कम बॉडी फैट दी है। ऐसे लोग थोड़ी भी मेहनत भी करे तो ज्यादा असर होता है। ये लोग दिखने में हार्ड बॉडी लुक वाले होते हें उनकी बॉडी फैट 12 से 15 प्रतिशत होती है और भार वांछित वजन से 10 से 20 प्रतिशत जयदा होता है।ऐसे लोग बॉडी बिल्ड़िंग में खूब कामयाब होते हें। रौक हार्ड बॉडी ऐसे लोग ही बना पाते हें। परंतु अगर ऐसे लोग व्यायाम और खुराक में लापरवाही करे तो मोटे होते जाएगे।
हर बॉडी प्रेमी ये जान ले क़ि हार्ड बॉडी बनाने के लिये निरंतर व्यायाम , उपयुक्त खुराक तथा पर्याप्त आराम ही मदद कर सकता हे न की कोई अनावश्यक ड्रग्स तथा मजदूरो जैसी मेहनत।
डॉ रणधीर हस्तिर ट्रेनर ऑफ़ ट्रेनर्स