ड्रग व स्टेरॉयड से कभी बॉडी नही बनती |

ड्रग व स्टेरॉयड से कभी बॉडी नही बनती

यानि कि ड्रगज़ व् स्टीरॉयड की तरफ अथाह विश्वास तथा बिना सोचे समझे शरीर को ऐसे जोखिम में डालना कि कुछ भी हो जाए, बॉडी बनानी है | हर सोशल मीडिया में यह सवालों की भरमार बनी रहती है कि बॉडी बिल्डिंग में चैंपियन बनने कि लिए कौन सा स्टैक व् दवाईयों का अचूक नुस्का है | आजकल कि बॉडी प्रेमी शरीर को एक जानवर की तरह बड़ा , ताकतवर , मसल व् आकार में अद्भुत बनाने कि लिए किसी भी तरह का जोखिम उठाने को तयार रहते हैं | हर आदमी का यही सवाल रहता है कि बॉडी बिल्डिंग करने कि लिए दवाईयों या ड्रगज़ का सेवन कितना आवश्यक है | उनके दिमाग से यह निकालना अति मुशिकल है कि बॉडी बिल्डिंग दवाईयों का ,ड्रगज़ का या स्टीरॉयड का खेल नहीं है | 90 प्रतिशत दुनिया में ऊपर कि सतर पर आने वाले हर बॉडी बिल्डर को चाहे वो राज्य ,राष्ट्रीय ,एशिआई, आंतर्राष्ट्रिये या प्रो बॉडी बिल्डर हो उन्हें नैचरल बॉडी बिल्डिंग को अलग विषय माना जाता है और उनकी समज में बॉडी बिल्डिंग का स्तर बिना ड्रगज़ के नहीं बन सकता | ऐसी सोच को मैं डोप मेनिया न कहूँ तो क्या कहूँ |

यहां तक मैं जनता हूँ कि 80 % ड्रग लेने वाले मेनेयिक बॉडी बिल्डर नहीं बन पाते वो ज्यादातर एंडोमीजो प्रकार कि ज्यादा पैसे खर्चने वाले मेनेयिक होते हैं जो एंडोमर्फिक होने पर कुदरती तौर पर ताकतवर तो होता हैं परन्तु ज्यादा फैट स्टोर की वजह से मस्कुलर व् हार्ड नहीं हो पाते |यह बात 16 आने सही है कि चैंपियन लोग 90 % उन गरीब घरों से आते हैं जिन घरों में पूरी खुराक भी नहीं होती | शौक , मेंहनत तथा कुदरती तौर पर मीजोमार्फिक लोगों में व्यायाम का तेजी से असर होता है वो दूसरे साथियों से कम समय में कहीं आगे निकल जाते हैं |

में बार बार इस बात पर जोर देता हूं कि चैंपियन चैंपियन इसलिए नहीं हैं कि वो कुछ खास या भारी भरकम ड्रगज़ ले रहा हैं | जबकि वो इसलिए चैंपियन हैं कि कुदरत ने उसको दूसरे लोगों से ज्यादा जैनेटिक्स दिया हैं और उसकी शारीरक बनावट , उसका व्यायाम करने का तरीका ,उसका खाने का तरीका व् किस्मत दूसरे लोगों से कहीं ज्यादा अच्छी हैं और अगर साथ में अच्छे कोच का साथ मिल जाए तो बिना रुके चैंपियन बन जाता हैं | चैंपियन वो लोग होते हैं जो अपने साथ व्यायाम करने वाले साथियों से 3 से 4 गुना जल्दी इम्प्रूव करते हैं और पहले ही 3 वर्षों में अपनी शारीरक क्षमता का 80% अर्जित कर लेते हैं जब कि कम जैनेटिकिस वाले खिलाड़ी मुशिकल से अपनी शारीरक क्षमता का 40 से 50 % ही अर्जित कर पाते हैं चाहे वो कितने भी सप्लीमेंट या ड्रगज ले ले | आमतौर पे यह पाया गया हैं कि कम क्षमता वाले खिलाडी अपनी आप को दूसरे कि कॉम्पिटिशन में देखते हुए चैंपियन से आकरण ही ज्यादा ओवर ट्रेनिंग ,ओवर ईटिंग ,ओवर मेडिकेशन करते हैं |उनके दिमाग में यह बात बैठ जाती हैं कि शायद ज्यादा पैसा या मजदूरों जैसी मेंहनत करने से मैं चैंपियनज को काट दुंगा|

हर खेल में चाहे वो बॉडी बिल्डिंग हो , लिफ्टिंग हो या एथलेटिक्स या जिम हो उसमे शारीरिक ताकत व् मासपेशियों का योगदान होता हैं .ऐसी दवाइयों के गलत प्रयोग के शिकार होती हैं | उदाहरण कि तौर पर अगर कोई शॉटपुट के खिलाडी अपने पहले ही 2 से 3 वर्ष की पूरी मेंहनत कि बावजूद भी 15 से 16 मीटर शॉटपुट नहीं लगा पाता तो समझो उसमें वो 18 से 19 मीटर के जैनतकिस नहीं हैं और दुनिया कि किसी भी स्टैक कोर्स कि साथ वो यह मुकाम हासिल नहीं कर सकेगा |अगर बिना सोचे समझे वो दवाइयों व ड्रग्ज़ पर जरूरत से ज्यादा निर्भर होना शुरू कर देगा तो उसमें भयंकर शारीरिक विकार उत्पन हो जायंगे |इसी प्रकार अगर 70 किलो वाला बॉडी बिल्डर 3 साल की पूरी मेहनत के बावजूद भी 120 किलो की बेंच प्रेस नहीं लगा पाता तो समझो कि उसमें कुदरती जैनिटिकिस उन चैंपियन से काफी कम हैं जो पहले ही 3 वर्ष में 150 किलो की बेंच प्रेस लगा लेते हैं | ऐसे मुकाम पर पहुंचने कि बाद अगर कोई कुछ स्टीरॉइड या कुछ दवाइयों के कम मात्रा में जा अधिक मात्रा में लेता हैं तो उसकी क्षमता में 10 से 15 % बढ़ौतरी हो सकती हैं| परन्तु यह ध्यान रहे कि यह बढ़ौतरी पूर्णतया आस्थाई हैं और जैसी ही हम बो स्टैक के कम कोर्स छोड़ेंगे तो वापिस अपने कुदरती ताकत कि स्तर पर पहुंच जाएंगे | और यह भी संभव हैं कि स्टैक कि बाद हमें हमारी कुदरती ताकत भी हो जायगी

परन्तु इस बात की पूरी गारंटी हैं कि जो नुकसान इन स्टैक्स द्वारा शरीर में होगा वह ज्यादातर स्थाई होता हैं और लम्बे सयम तक उसके विकार शरीर में बने रहते हैं | कई विकार जैसे कि अंडकोष काम न करना| जिगर में उत्पन विकार तथा मांसपेशियों व् हड्डियों की कमजोरी सदा कि लिए बनी रह सकती हैं |

अंत में मैं उन डोप मैनिक बंधुओं को निवेदन करना चाहूंगा कि अपनी शारीरिक शमता पहचाने व् कुदरत द्वारा दिया हुए जैनटिकल स्तर कि अंतर्गत ही अपना लक्ष्य् निर्धारित करे और उस प्राप्तयिये लक्ष्य को हासिल करने कि लिए निरंतर मेंहनत करते रहे व् अपने मुशिकल से अर्जित किये हुए पैसे और सेहत को अपनी लम्बी उम्र कि लिए बचा कि रखें |

- डा. रणधीर हस्तीर |

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