जिम जरूरी ?

जिम जरूरी ?
जब कोई फिटनेस की बात करता है तो विभिन्न प्रकार के खेल, व्ययाम व् गतिविधियाँ करने की बात होती है। हर खेल अच्छा है । हर खेल में शारीरक हरकत होती है। विभिन्न खेलो में विभिन्न मांसपेशियां हरकत में आती है। इंडोर खेलो में तथा आउटडोर खेलो में शारीरक इंटेस्टिटी अलग अलग होती है।खेल जैसे फुटबॉल, हॉकी , बास्केटबॉल, वॉलीबॉल इत्यादि ऐसी खेल है जिनमे सम्पूर्ण शारीरक क्षमता लगती है परंतु शारीरक व्यायाम की आउटपुट इस बात पे निर्भर करती है की खेलने वाला खिलाडी कितने जोर से और कितने समय तक अपने आप को खेल की लय में झुजता है और कितना थकता है। अगर कोई खिलाड़ी फुटबॉल जैसे ताकतवर खेल में फॉरवर्ड की तरह जोर से खेले तो काफी जोर लगता है जबकि अगर खेल में पीछे गोलकीपर की तरह खड़ा रहे तो क्या वयायाम होगा? इसी प्रकार विभिन्न खेल है जिनमे जितना हिस्सा लोगे उत्तना ही व्ययाम होगा। ये सब् खेल इंडोर व् आउट डोर खेल या फिर विभिन्न व्ययाम जैसे की योगा, डांस, एरोबिक्स, जॉगिंग, वेटलिफ्टिंग , जिम आदि ऐसे व्यायाम है जो शारीर पर अलग अलग असर दिखाते है। अगर हम अलग अलग खेल व् व्यायामो की आउटपुट देखे तो हर खेल में अलग अलग शारीरक रिजल्ट्स मिलते है। ये सब खेल अगर तन्मयता से खेले जाये तो शारीरक तंदरुस्ती, स्फूर्ति, स्पीड व् मजबूती तो मिलती है परन्तु शारीर का सम्पूर्ण मुस्कुलर विकास नही होता और न ही शारीर की बनावट व् शेप में कोई अंतर होता है। यहाँ तक की कोई खिलाडी जिसने किसी नामी खेल में ओलंपिक्स में भी हिस्सा क्यों न लिया हो परंतु वह कपड़े डाल कर सिर्फ सेहतमंद दिखने के इलावा कोई खास शेप वाला नहीं लगता। और न ही उसकी सारी मांसपेशियां आकार में बड़ी व् मस्कुलर होती है। जैसे की लाखो वॉलीबाल, बैडमिंटन , क्रिकेट आदि खेलने वालो के शारीर में कोई ज्यादा अंतर नहीं आता। जबकि अगर जिम में ठीक लगन व् तरीके से व्ययाम करे तो पहले 4 सप्ताह आप अपने आप में बदलाव महसूस करते है। अगले 4 सप्ताह में सारे क्लब वाले और साथ व्ययाम करने वाले और घर वाले आपको कहते है की आप कुछ कर रहे है। अगले 4 सप्ताह के बाद जग वाले आप में साफ फर्क देखेंगे और आप ज्यादा और लगातार जिम जाने के लिए प्रेरित होंगे। क्योंकि जिम विद वेट्स ही ऐसे व्ययाम है जो आपके शरीर की बनावट में खूब अंतर आता है और कंधो से लेकर पिण्डलिओ तक मजबूत और ताकतवर होते है।जिम से शरीर ताकतवर, मजबूत, संतुलित व् सेहतमंद बनाता है।यहाँ तक की जिम में जो लोग सिर्फ कार्डियो करते हुए ट्रेडमिल, साइकिलिंग या एरोबिक्स करते है उनपर भी शरीर में ज्यादा अंतर नहीं आता। जब की वेट के साथ व्ययाम ओर जिम व्ययाम ही शरीर को मजबूत, व् ताकतवर बनाते है। जिम जरूरी है।पर्याप्त ख़ुराक , व्ययाम व् आराम ही अचूक बाण है जिससे हम एक सेहतमंद लाइफ स्टाइल अपना सकते है। डॉ। रणधीर हस्तीर

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