आम तौर पे ये एक धारणा प्रचलित है कि किसी भी प्रकार का मैथुन शारीर को कमजोर करता है।सदीओ से चली आरही विभिन्न धारणाओं का प्रचलन बिना किसी आधार का होता था और अकारण ही लोग भ्रमित रहते थे। प्रकीति के बनाए इस शारीरक सुख व् दैहिक मैथुन क्रिया को दिमाग पर न ले कर एक साधारण शारीरक क्रिर्या मान ले तो बढ़िया है। जैसे शारीरक अन्य क्रियाओ को करने से कोई कमजोरी नहीं होती तो ऐसी सुखदाई क्रिया से कैसे कमजोरी हो सकती है। अगर इस बात में थोड़ी भी सच्चाई होती तो शादी के बाद हर आदमी और औरत कमजोर और बीमार हो जाते जबकि उल्टा वह शादी के बाद पहले से तगड़े तथा सुन्दर हो जाते है।
ये एक विज्ञानिक सच्चाई हे के पर्याप्त प्रकृतिक मैथुन करने से शारीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स का विस्तार बड़ता है। टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन्स शारीरक, मानसिक व् जणेंद्रियो के विकास के लिए जरुरी है।मैथुन एक शारीरक क्रिया न होकर मानसिक परिपक्वता का अभिन्न अंग है। अगर ये कहा जाये शारीर में नंबर 1 सेक्स ऑर्गन क्या है तो दिमाग का पहला नंबर आता है।
आनंदमय व् चिंतारहित मैथुन के बाद शारीर में हॉर्मोन्स का विस्तार बड़ जाता है और इस बड़े हुए फ्लो से मांसपेशियो और हड्डियो का विकास अग्रसर होता है। ये भी एक तथ्य है की आमतौर पर शादी के बाद इस बड़े हुए हॉर्मोन्स के विस्तार से हर व्यक्ति का 1 से डेढ सेंटीमीटर कद बड़ जाता है।
बॉडीबिल्डिंग व् अन्य ताकतवर खेल मांसपेशियो की ताकत , स्फूर्ति तथा स्पीड पर आधारित है । शारीरक क्षमता व् प्रदर्शन मांसपेशियो के साथ साथ मानसिक तालमेल का परिणाम होते है। मानसिक एकाग्रता ही बढ़िया न्यूरो मस्कुलर संतुलन के लिए जरूरी है। कई बार जरूरत से जयाद मैथुन जैसी क्रियाओ के करने से आत्म गिलानी की स्थिति उत्पन हो जाती है जिससे हम मानसिक तोर पे कमजोरी महसूस करते है जिस के फलसवरूप हम अपना प्रदर्शन अच्छा नही कर पाते। जबकि ये सब शरीरक न हो कर मानसिक है।
भारत में तो नहीं परन्तु विदेशो में ये अध्यन भी किये जा चुके हे और निष्कर्ष निकाला है की सेक्स व्ययाम और शारीरक प्रदर्शन से पहले कोई उल्टा असर नहीं डालता, और ये पाया गया की प्रदर्शन पहले किया गए मैथुन से बढ़िया आता है। हाँ अगर हम मैथुन को जरुरत से जयादा करते है तो इस आदत के गुलाम हो सकते है जिससे मानसिक गिलानी और मैथुन के प्रति अति मिथ्या रुझान आपको कमजोरी महसूस करवा सकता है।
डॉ रणधीर हस्तिर